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Saturday, 22 July 2017

NDTV की निंदनीय करतूत, नेता जिसने सचिन पायलट को हराया, क्या यही पहचान है सांवरलाल जी की?

कल जयपुर में BJP मुख्यालय में हो रही राज्यस्तरीय पार्टी मीटिंग में राजस्थान के कद्दावर BJP नेता प्रोफेसर श्री सांवरलाल जाट की तबियत बिगड़ी ओर प्रोफेसर जाट को तुरंत SMS हिस्पिटल पहुँचाया, सभी डॉक्टर्स की मेहनत, सुभचिंतको की दुआओं से अब उनकी तबियत में सुधार है। सभी की दुआएं है कि जल्दी ही स्वस्थ होके प्रोफेसर साहब जन सेवा में कार्य मे लोटे।
     चालू बैठक में प्रोफेसर साहब की तबियत बिगड़ने की खबर राज्य ही नही राष्ट्रीय मीडिया में बड़ी खबर बनी, राज्य व देश के नेताओं ने प्रोफेसर साहब की कुशलशेम पूछी। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह व सूबे की CM श्रीमती वसुंधरा राजे खुद SMS पहुचे। इससे श्री जाट की राजनीतिक महत्वता का पता लगता है कि एक जननायक को पार्टी कितनी अहमियत देती है।
     लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनल NDTV ने तो तब हद करदी जब सूबे के कद्दावर जाट नेता जो कई बार MLA, वर्तमान अजमेर सांसद, राज्य व केंद्र सरकार के मंत्री रहने के साथ वर्तमान राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष भी कि पहचान यह कह के दी कि 'नेता जिन्होंने सचिन पायलट को हराया कि तबियत बिगड़ी'। NDTV का यह कृत्य घोर निंदनीय है तथा साथ ही किसान और मजदूर वर्ग के गाल पे तमाचा है कि उनको ही नही उनके नेताओ के प्रति भी इनकी क्या सोच है?
     मेरा NDTV से सवाल है कि क्या इन्हें कांग्रेस, गांधी परिवार, सिंधिया, पायलट के अलावा कोई नज़र आता है? कभी लूटियन जोन या कहे कि दिल्ली के बाहर का भारत दिखता है? एक बार यह चकाचक सफ़ेदी व फर्राटेदार इंग्लिश का चश्मा हटा के देखो, इससे बाहर भी एक भारत बसता है वो उस इंडिया से बहुत सुंदर है जो आप अभी तक देखते आये हो।
   

डॉ देवराज राव
लाडपुरा नागौर
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Tuesday, 15 November 2016

रूपये 500 व 1,000 की नोट बंदी और भारतीय अर्थव्यवस्था

                                          मंगलवार की शाम, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 40 मिनट का भाषण और भारतीय अर्थव्यवस्था इतिहास का एक ऐतिहासिक फैसला, कि भारतीय मुद्रा के दो सबसे बड़े नोट 500 व् 1,000 आज से बंद. प्रधानमंत्री के साहसिक फैसले पे प्रतिक्रिया वैसे ही हुई जैसी हर लोकतान्त्रिक देश में होती है. अधिकतर लोगो ने दिल खोलकर इस फैसले का स्वागत किया तो अन्य कुछ ने आँख बंद कर के विरोध. इसमें कोई दो राय नहीं कि यह फैसला गृहणी, नोकरी-पेशा, आम-आदमी, उद्योग, व्यापार इत्यादि पे अपना प्रभाव डालेगा. इन्ही प्रभावों पे एक नज़र.

पक्ष-

नकली मुद्रा पे काबू -
500 व् 1,000 के जेसे बड़े नोट बंद करने का सबसे ज्यादा असर, भारतीय बाज़ार में मोजूद लगभग 16 लाख करोड़ की नकली मुद्रा पे पड़ेगा. नकली मुद्रा 500 व् 1,000 के नोट के रूप में नेपाल व् बांग्लादेश के माध्यम से भारतीय बाज़ार में उतारी जाती है. जोकि जीडीपी की लगभग 20% है इन बड़े नोटों के बंद हो जाने से यह नकली मुद्रा और कुछ नहीं बस कागज के टुकड़े मात्र बन  के रह गयी है.


कालाधन पे असर -
जिन लोगो ने कालाधन 500 व् 1,000 के नोट में जमा कर रखा था उनके पास अब दो रास्ते बचे है एक तो उस धनराशी को मान्य परिचय पत्र के साथ बैंक में जमा करा के नये नोट प्राप्त करे, (ज्ञात रहे एक सीमा से ज्यादा राशी जमा करने पे आईटी का नोटिस व् जुर्माना देना पड़ेगा) या जमा कालेधन को नस्ट करे. (दूसरी अवस्था में सरकार एक समय सीमा के बाद सरकार उस मुद्रा के एवज में दुसरे नोट छाप के भरपाई कर देगी और वो रूपैया फिर से मुख्य अर्थव्यवस्था में आ जायेगा)


आतंकवाद व् नक्सलवाद पे अंकुश-
बाहरी-भीतरी आतंकवाद हो या नक्सलवाद, इनकी विध्वंशक गतिविधिया का मुख्य ईधन पैसा ही है. इनको पैसा सीमा पार से सप्लाई किया जाता है या यह लोग भारत के भीतर गैरकानूनी उगाई, तस्करी करके इकठा करते है. बड़ी मुद्रा नोट पे रोक से 26/11, पठानकोट, उरी जैसी घटनाओ के साथ ही कश्मीरी युवाओ द्वारा 'stone pelting' जैसी घटनाओ पे भी रोक लगेगी जिनके बारे में कहा जाता है कि यह लोग Rs 100/प्रतिदिन पे यह काम करते थे.

महंगाई में कमी- यदि किसी व्यक्ति पे पास कालाधन है तो वो उसकी खरीदने की क्षमता बढता है और यह वस्तुओ के भाव बड़ाती है. और व्यक्ति बड़े हुए भाव देने को भी भी राजी हो जाता है क्योकि यह उसकी खून-पेसे की कमाई नहीं होती. कालेधन पे रोक लगने से वस्तुओ के भाव में कमी आएगी और महंगाई में यह कमी उच्य-शिक्षा व् स्वास्थ्य जैसी सेवाओ को सस्ता करेगी.

अंडरवर्ल्ड पे अंकुश-हजारो करोड़ का अंडरवर्ल्ड का कारोबार कालेधन व् जाली-मुद्रा पे ही टिका है. अपरहण हो या सुपारी-हत्या अंडरवर्ल्ड में कालेधन का खूब प्रयोग होता है. नोटों पे रोक सेअंडरवर्ल्ड के कारोबार पे रोक लगेगी.

जमीन-माफिया पे अंकुश- जमीनों के सोदों की आड़ में काले-धन को खूब खपाया जाता है और जमीनों-मकानों के भाव आसमां छुते है. प्रधानमंत्री का यह कदम निश्चय ही जमीन-माफिया व् जमीन से जुड़े भ्रस्टाचार पे रोक लगायेगा और प्लाट-मकान खरीदना आम आदमी के लिए आसान होगा.

कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा- नोटों बंदी के साथ ही रोजाना व् साप्ताहिक ATM व् बैंक में कैश आहरण की सीमा तय की गयी है. यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था को कैशलेस की तरफ बढायेगा. जिसमे अनेको फ़ायदे है जैसे
नकली नोटों पे अंकुश, 
नोट छपाई पे कम खर्चा, 
सस्ता नोट पेपर 
सभी लेनदेन पे सरकार कि नज़र इत्यादि. 
विपक्ष-
- बैंक व् ATM पे लम्बी लाइन लगेगी, लोग अपने पुराने नोट बदलने/जमा करने के साथ ही नये नोट भी निकालेंगे और भारत के अपर्याप्त बैंकिंग ढांचा को देखते हुए बैंको पे मारा-मारी होना लाजमी है. रोजाना मजदूरी करके पेट भरने वालो के लिए दिन भर बैंक की लाइन में लगना एक मुश्किल कार्य होगा.
- ग्रामीण भारत में बैंकिंग व्यवस्था के साथ साथ मोद्रिक ज्ञान की कमी को देखते हुई, जब उन्हें पता चलेगा कि उनका 500, 1,000 का नोट किसी काम का नहीं रहा, तो ग्रामीण जनों में भय का माहोल बनेगा. 
- सभी पुराने नोटों को बंद कर के नये नोट जारी करने में अच्छा-खासा खर्चा  लगेगा. कैशलेस लेनदेन के बडावे को देखते है नोटों के पेपर-क्वालिटी में अंतर देखा जा सकता है.
- भारत की जनता और आधारभूत ढांचा अभी पूर्णरूप से कैशलेस लेनदेन के लिए तैयार नहीं है. अपूर्ण बैंक पेठ, इन्टरनेट सेवाओ का मुद्दा, मोद्रिक ज्ञान की कमी, तकनीक की जानकारी की कमी इत्यादि अनेक कारण है.
- अन्य रूप में जमा कालेधन पे यह योजना कारगर नहीं होगी जैसे किसी ने सोने खरीद रखा है या किसी ने विदेश में विदेशी मुद्रा के रूप में कालाधन जमा करा रखा है इत्यादि.
-विपक्ष का राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह करना- बिना किसी पूर्व सुचना के नोट बंद कर देने से जनता को कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है उसका विपक्षी पार्टिया लाभ लेने से पीछे नहीं रहेगी.

विशेष बाते-
- आप अपने पुराने नोट 30 दिसम्बर तक जमा करवा सकते है.
- पुराने 500, 1,000 के नोट 24 नवम्बर तक पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल्स व् अन्य उपयोगी सेवाओ के लिए काम में लिए जा सकते है.
- 18 नवम्बर की मध्यरात्रि तक सभी टोल नाके फ्री.

सारांश - पहले भारत सरकार से यह पूछा जाता था कि आप काले धन पे कुछ क्यों नहीं कर रहे? अब जब सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला ले लिया तो शुरुवाती कठिनाइयों को नज़रंदाज़ करते हुए हमे सरकार के इस फैसले का साथ देना चाहिए.

मै आने वाले सुनहेरे कल के लिए कुछ  दिनों का कष्ट सहने को तैयार हु और आप?

डॉ. देवराज राव






Sunday, 13 November 2016

भामाशाह- एक सकारात्मक पहल

वह धन्य देश की माटी,
जिसमे भामा सा लाल पला |
उस दानवीर की गाथा को,
मेट सका क्या काल भला ||

महान दानवीर व् त्यागी भामाशाह की याद में लिखी यह पंक्तिया आज भी उतनी ही सार्थक है जितनी पहले थी. जिस प्रकार मात्रभूमि की रक्षा के लिए लड़ रहे महाराणा प्रताप का सर्वस्य होम हो जाने के बाद भी, भामाशाह ने उनके लक्ष्य को सर्वोपरी मानते हुऐ अपनी सम्पूर्ण धन-सम्पदा महाराणा को अर्पित कर दी थी. उसी प्रकार अपनी मात्रभूमि के प्रति अगाध प्रेम व् दानवीरता का परिचय देते हुऐ भामाशाह खटोड परिवार आलनियावास, हाल मुकाम- इचलकरंजी, महारास्ट्र ने राजकीय चिकित्सालय आलनियावास से सटी पुस्तेनी जमीन में प्रसूति कक्ष मय बरामदा, स्टोर रूम, ड्यूटी रूम का निर्माण कर के जनसेवाओ के लिए चिकित्सा विभाग को समर्पित किया, उसके लिए विभाग व् लाभार्थी जनता आपकी हमेशा आभारी रहेगी.
                                                                                                         
                                         भामाशाह श्रीमती राज देवी, श्री रामरतन जी, श्री शिवरतन जी खटोड परिवार आलनियावास द्वारा निर्मित प्रसूता कक्ष का लोकार्पण दिनांक 12/11/2016 को सुबह 11.21 को श्री अजय सिंह जी किलक, सहकारिता मंत्री राजस्थान सरकार के कर कमलो द्वारा किया गया. समारोह में पधारे सभी स्थानीय-बाहर गाँव से पधारे मेहमानों का हार्दिक आभार. आभार सभी मित्रों का जिनके सहयोग से सफल आयोजन संभव हुआ. धन्यवाद् श्री अजयपाल जी जांगिड का जिनके सहयोग भवन की नीव से अंत तक रहा. 
                                      भामाशाहो की जरूरत समाज को हमेशा रही है, आशा है और भामाशाह आगे आयेंगे और इस पहल को आगे लेके जायेंगे.