Saturday, 19 November 2016

इंदिरा गाँधी- एक विराट व्यक्तित्व

                        इंदिरा प्रियदर्शिनी 'गाँधी', भारत के पहले प्रधानमंत्री की इकलोती संतान व् भारतवर्ष की पहली महिला प्रधानमंत्री. एक प्रधानमंत्री के रूप में भारत व् विश्व के राजनीतिक पटल पे इंदिरा जी ने जो छाप छोड़ी है वो हमेशा जीवित रहेगी. इंदिराजी के निर्णय कुछ अच्छे और कुछ बुरे भी रहे पर, वो कहते है ना जो जितना अच्छा वो उतना हु बुरा. उनके कठोर निर्णयों के कारण ही उन्हें 'लोह-महिला' के नाम से भी जाना जाता है. 1996 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद जब प्रधानमंत्री बनी तो उन्हें विरोधी 'गूंगी-गुडिया' बुलाते थे, वो ही इंदिरा 1971 में, उन्ही विरोधियो के मुंह से 'दिल्ली की दुर्गा' के नाम से पुकारी जानी लगी. उसी महान इंदिरा के राजनीतिक जीवन के कुछ फैसलों पे एक नज़र.

बांग्लादेश का निर्माण -
                      हमेशा से ना'पाक रहे पाकिस्थान के एक हिस्से पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में पाकिस्तान से अलग करके इंदिरा जी ने दुश्मन को हमेशा के लिए कमजोर कर दिया था. इंदिरा ने यह कदम तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन व् चीनी नेता माओ त्से की गीदड़भभकियो को दरकिनार करके किया तथा अपने आपको एक मजबूत, साहसिक नेत्री के रूप में स्थापित किया. इस बांग्लादेश-मुक्ति युद्ध में भारतीय जरनल जगजीत सिंह के सामने पाकिस्तानी जरनल नियाजी ने 93000 सैनिको के साथ आत्म समर्पण किया जोकि द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसर्पण है.

कांग्रेस का विभाजन -
                    पाकिस्थान के विभाजन से 2 साल पहले इंदिरा ने 1969 में कांग्रेस पार्टी के दो टुकड़े कर दिए थे और कहा कि दो कांग्रेस है एक कुर्सी कांग्रेस और दूसरी बे'कुर्सी कांग्रेस.

सिक्किम का भारत में विलय -
                    भारत व् चीन के बीच बफर का कार्य करने वाले प्रिंसली-स्टेट सिक्किम का 1975 में भारत में विलय करके इंदिरा ने पूर्वी भारत को मजबूत किया और चीन को उसकी ही भाषा में माकूल जवाब दिया.

प्रिवी-पर्स का खात्मा -
                    आज़ादी के समय भारत में विलय के बाबत पूर्व रजवाडो को दिये प्रिवी-पर्स का खात्मा करने जैसा कठोर निर्णय करके इंदिरा ने एक बार फिर अपने मजबूत इरादों को दर्शाया.

बैंको का रास्ट्रीयकरण -
                    यह इंदिराजी के मजबूत इरादे ही थे जिनके बाबत निजी क्षेत्र के 14 बेंको को रास्ट्रीयकृत कर दिया जिस से ग्रामीण भारत में बैंकिंग प्रसार हुआ और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली.

पहला पोकरण परमाणु परिक्षण -
                    इंदिरा ने वैश्विक दबाव को नज़रन्दाज करते हुए 1974 में पोकरण, राजस्थान में भारत का पहला परमाणु परिक्षण कर के पुरे विश्व में भारतवर्ष को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया. उन्होंने परिक्षण के बाद लगे प्रतिबंदो को बखूबी रूप से झेला और अन्य महाशक्तियो के दबाव को अस्वीकार करते हुए परमाणु अप्रसार संधि व् समग्र परिक्षण प्रतिबंध संधि पे हस्ताक्षर करने से मना किया. 

1981 का विश्व गुट निरपेक्ष सम्मलेन -
                   इंदिरा के कार्यकाल में 1981 में राजधानी दिल्ली में विश्व गुट निरपेक्ष सम्मलेन का सफल आयोजन किया गया. जिसमे फिदेल कास्त्रो जेसे वैश्विक नेताओ ने भाग लिया था.

आपातकाल
                 सन 1977 में इलाहबाद हाईकोर्ट के एक फैसले ने चुनावी धांधली के आरोप में इंदिरा के चुनाव में जीत को ख़ारिज कर दिया तब इंदिरा ने अदालत के फैसले को नहीं मानते हुए, सविधान हाथ में लेते हुए एक दुर्भाग्य पूर्ण फैसला लिया जिसे आपातकाल के रूप में जाना जाता है. आपातकाल के रूप में जनता व् प्रेस के अधिकारों पे ताला लगाना इंदिरा को महंगा पड़ा व् उनको अगले चुनाव में करारी हार सहनी पड़ी. 

संजय की मनमानियो पे नरमी
                एक प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा ने एक सशक्त महिला का किरदार निभाया पर वो 'लोह महिला' अपने बेटे के लिए नरम बनी रही और बार बार संजय की गलतियों को नज़रंदाज़ करती रही जिसका खामयाजा उनको भुगतना पड़ा. इसके साथ ही वो सरकारी काम काज में पनप रहे भ्रस्टाचार पे अंकुश लगाने में अक्षम रही जो उन्हें बाद में महंगा पड़ा. 

ऑपरेशन 'ब्लू-स्टार' -
               पंजाब में पनप रहे अलगाववाद के खात्मे के लिए इंदिरा ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया. इंदिरा ने चरमपथियो पे बखूबी काबू पा लिया और यही उनकी 'शहादत' का कारण बना. 31 अक्टूबर 1984 को उनके ही अंगरक्षकों द्वारा गोली मार के हत्या कर दी गयी.

               इंदिरा भले ही नेहरु की बेटी हो पर उनकी कार्यशेली में नेहरु के नरम विचारधारा से ज्यादा पटेल जैसे उग्र-रास्ट्रवाद का असर था. इंदिरा के एक प्रधानमंत्री के रूप लिए अच्छे-बुरे फैसले भारत के आने वाले राजनेताओ-प्रधानमंत्रियो व् जनता के लिए हमेशा मार्गदर्शक का काम करेंगे.
                           
                           यह वर्ष इंदिरा के स्वर्ण जयंती के रूप में मनाया जायेगा. महान नेत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी 'गाँधी' को मेरा सादर नमन.
                                                                                                       
                                                                                                         श्रधांजलि.


Wednesday, 16 November 2016

मुख्यमंत्री राजश्री योजना- एक कदम बालिका स्वास्थ्य व् शिक्षा की और

                         राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा वर्ष 2016-17 की बजट घोषणा के तहत राज्य की बालिकाओ के प्रति समाज में सकारात्मक सोच विकसित करने तथा स्वास्थ्य व् शेक्षणिक स्तर में सुधार करने के लिए मुख्यमंत्री राजश्री योजना 01 जून 2016 से लागु की गयी, जिसमे 31 मई 2016 की मध्य रात्रि के बाद सरकारी व् पंजीकृत निजी संस्थानों में जन्मी बालिकाये पात्र होगी.

                    योजना के तहत प्रथम व् द्वितीय क़िस्त चिकित्सा व् स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जायेगी. पहली क़िस्त बालिका के सरकारी या पंजीकृत निजी संस्थान में जीवित जन्म पे माता-पिता/अभिभावक को देय होगी, तथा द्वितीय क़िस्त बालिका की उम्र 1 साल होने पे तथा उम्र अनुसार सभी आवश्यक टीके लगवाने पर बालिका के प्रथम जन्मदिवस पे बालिका के माता-पिता/अभिभावक को दिया जायेगा.


पात्रता - 
   1)  ऐसी बालिकाये जिनका जन्म 31 मई 2016 की मध्य-रात्रि के बाद राज्य के सरकारी या पंजीकृत निजी संस्थान में हुआ. प्रथम क़िस्त के लिए माता  या पिता के आधार या भामाशाह कार्ड अनिवार्य नहीं है पर द्वितीय क़िस्त के भुगतान के समय माता या पिता के आधार अथवा भामाशाह कार्ड की प्रतिलिपि अनिवार्ये है.
   2) योजना का लाभ राजस्थान की मूल निवासी प्रसुताओ के लिए देय है. ऐसी प्रसुताओ जिनका संस्थागत प्रसव राज्य के बाहर हुआ है एव जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्राप्त हुआ है, वो बालिका के जीवित-जन्म प्रमाण पात्र प्रस्तुत करने पे इस योजना का लाभ मूल निवास क्षेत्राधिकार वाले राजकीय संस्थान से ले सकते है. राज्य की बाहर की प्रसुताओ को यह लाभ देय नहीं होगा. 
   3) प्रथम व् द्वितीय लाभ सभी संस्थागत प्रसव से जन्म लेने वाली बालिकाओ को देय होगा. तीसरी व् उसकी बाद की किस्तों का लाभ एक परिवार से अधिकतम दो जीवित संतान तक ही मान्य होगा. इस हेतु निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार माता-पिता को स्व-घोषित पत्र देना अनिवार्य होगा.
   4) यदि माता-पिता की ऐसी बालिका की मृत्यु हो जाती है जिसे एक या दो किस्तों का लाभ दिया जा चूका हो तो ऐसे माता-पिता की जीवित संतानों से मृत बालिका की संख्या कम हो जायेगी तथा ऐसे माता-पिता के एक और बालिका जन्म लेती है तो वो बालिका सभी किस्तों की पात्र होगी. तीसरी व् बाद की किस्तों का लाभ अधिकतम दो जीवित संतानों तक ही देय होगा.
   5) प्रथम क़िस्त से लाभान्वित बालिकाओ को समेकित बाल-विकास सेवाओ के माध्यम से आंगनवाडी केंद्र से जोड़ने का प्रयास किया जायेगा.
   6) द्वितीय व् तृतीय क़िस्त का भुगतान तभी होगा जब बालिका को प्रथम क़िस्त प्राप्त हुई हो.
   7) तृतीय व् बाद की किस्तों के लिए ऐसी बालिकाये पात्र होगी जो राज्य सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओ में प्रत्येक चरण में 
         ( कक्षा 1, 6, 10 व् 12) शिक्षारत है/रही हो.
   8) योजना की अगली क़िस्त पूर्व की सभी क़िस्त/किस्तों को प्राप्त करने की स्थिति में ही देय होगी.

  

प्राप्त लाभ -

पहली क़िस्त- 
            2,500 रूपये की, सरकारी या पंजीकृत निजी संस्थान में प्रसव होने पे, यह लाभ जननी सुरक्षा योजना से प्राप्त लाभ से अलग देय होगा.

दूसरी क़िस्त- 
            2,500 रूपये की बालिका के नाम से, बालिका के एक साल पुरे होने, व् उम्र के अनुसार पूर्ण टीकाकरण होने पे.

तीसरी क़िस्त - 
           4,000 रूपये की बालिका के नाम से, बालिका के किसी राजकीय विद्यालय में कक्षा 1 में प्रवेश लेने पे.

चोथी क़िस्त- 
           5,000 रूपये की बालिका के नाम से, बालिका के किसी राजकीय विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश लेने पे.

पांचवी क़िस्त- 
         11,000 रूपये की बालिका के नाम से, बालिका के किसी राजकीय विद्यालय में कक्षा 10 में प्रवेश लेने पे.

छठी क़िस्त- 
         25,000 रूपये की बालिका के नाम से, बालिका के किसी राजकीय विद्यालय से कक्षा 12 पास करने पे.

    आशा है माननीय मुख्यमंत्री महोदया की यह महत्वाकांक्षी योजना राज्य में बालिका स्वास्थ्य व् शिक्षा में संख्या के साथ साथ गुणवता में भी इजाफा करेगी. 



जय जय राजस्थान 

Tuesday, 15 November 2016

रूपये 500 व 1,000 की नोट बंदी और भारतीय अर्थव्यवस्था

                                          मंगलवार की शाम, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 40 मिनट का भाषण और भारतीय अर्थव्यवस्था इतिहास का एक ऐतिहासिक फैसला, कि भारतीय मुद्रा के दो सबसे बड़े नोट 500 व् 1,000 आज से बंद. प्रधानमंत्री के साहसिक फैसले पे प्रतिक्रिया वैसे ही हुई जैसी हर लोकतान्त्रिक देश में होती है. अधिकतर लोगो ने दिल खोलकर इस फैसले का स्वागत किया तो अन्य कुछ ने आँख बंद कर के विरोध. इसमें कोई दो राय नहीं कि यह फैसला गृहणी, नोकरी-पेशा, आम-आदमी, उद्योग, व्यापार इत्यादि पे अपना प्रभाव डालेगा. इन्ही प्रभावों पे एक नज़र.

पक्ष-

नकली मुद्रा पे काबू -
500 व् 1,000 के जेसे बड़े नोट बंद करने का सबसे ज्यादा असर, भारतीय बाज़ार में मोजूद लगभग 16 लाख करोड़ की नकली मुद्रा पे पड़ेगा. नकली मुद्रा 500 व् 1,000 के नोट के रूप में नेपाल व् बांग्लादेश के माध्यम से भारतीय बाज़ार में उतारी जाती है. जोकि जीडीपी की लगभग 20% है इन बड़े नोटों के बंद हो जाने से यह नकली मुद्रा और कुछ नहीं बस कागज के टुकड़े मात्र बन  के रह गयी है.


कालाधन पे असर -
जिन लोगो ने कालाधन 500 व् 1,000 के नोट में जमा कर रखा था उनके पास अब दो रास्ते बचे है एक तो उस धनराशी को मान्य परिचय पत्र के साथ बैंक में जमा करा के नये नोट प्राप्त करे, (ज्ञात रहे एक सीमा से ज्यादा राशी जमा करने पे आईटी का नोटिस व् जुर्माना देना पड़ेगा) या जमा कालेधन को नस्ट करे. (दूसरी अवस्था में सरकार एक समय सीमा के बाद सरकार उस मुद्रा के एवज में दुसरे नोट छाप के भरपाई कर देगी और वो रूपैया फिर से मुख्य अर्थव्यवस्था में आ जायेगा)


आतंकवाद व् नक्सलवाद पे अंकुश-
बाहरी-भीतरी आतंकवाद हो या नक्सलवाद, इनकी विध्वंशक गतिविधिया का मुख्य ईधन पैसा ही है. इनको पैसा सीमा पार से सप्लाई किया जाता है या यह लोग भारत के भीतर गैरकानूनी उगाई, तस्करी करके इकठा करते है. बड़ी मुद्रा नोट पे रोक से 26/11, पठानकोट, उरी जैसी घटनाओ के साथ ही कश्मीरी युवाओ द्वारा 'stone pelting' जैसी घटनाओ पे भी रोक लगेगी जिनके बारे में कहा जाता है कि यह लोग Rs 100/प्रतिदिन पे यह काम करते थे.

महंगाई में कमी- यदि किसी व्यक्ति पे पास कालाधन है तो वो उसकी खरीदने की क्षमता बढता है और यह वस्तुओ के भाव बड़ाती है. और व्यक्ति बड़े हुए भाव देने को भी भी राजी हो जाता है क्योकि यह उसकी खून-पेसे की कमाई नहीं होती. कालेधन पे रोक लगने से वस्तुओ के भाव में कमी आएगी और महंगाई में यह कमी उच्य-शिक्षा व् स्वास्थ्य जैसी सेवाओ को सस्ता करेगी.

अंडरवर्ल्ड पे अंकुश-हजारो करोड़ का अंडरवर्ल्ड का कारोबार कालेधन व् जाली-मुद्रा पे ही टिका है. अपरहण हो या सुपारी-हत्या अंडरवर्ल्ड में कालेधन का खूब प्रयोग होता है. नोटों पे रोक सेअंडरवर्ल्ड के कारोबार पे रोक लगेगी.

जमीन-माफिया पे अंकुश- जमीनों के सोदों की आड़ में काले-धन को खूब खपाया जाता है और जमीनों-मकानों के भाव आसमां छुते है. प्रधानमंत्री का यह कदम निश्चय ही जमीन-माफिया व् जमीन से जुड़े भ्रस्टाचार पे रोक लगायेगा और प्लाट-मकान खरीदना आम आदमी के लिए आसान होगा.

कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा- नोटों बंदी के साथ ही रोजाना व् साप्ताहिक ATM व् बैंक में कैश आहरण की सीमा तय की गयी है. यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था को कैशलेस की तरफ बढायेगा. जिसमे अनेको फ़ायदे है जैसे
नकली नोटों पे अंकुश, 
नोट छपाई पे कम खर्चा, 
सस्ता नोट पेपर 
सभी लेनदेन पे सरकार कि नज़र इत्यादि. 
विपक्ष-
- बैंक व् ATM पे लम्बी लाइन लगेगी, लोग अपने पुराने नोट बदलने/जमा करने के साथ ही नये नोट भी निकालेंगे और भारत के अपर्याप्त बैंकिंग ढांचा को देखते हुए बैंको पे मारा-मारी होना लाजमी है. रोजाना मजदूरी करके पेट भरने वालो के लिए दिन भर बैंक की लाइन में लगना एक मुश्किल कार्य होगा.
- ग्रामीण भारत में बैंकिंग व्यवस्था के साथ साथ मोद्रिक ज्ञान की कमी को देखते हुई, जब उन्हें पता चलेगा कि उनका 500, 1,000 का नोट किसी काम का नहीं रहा, तो ग्रामीण जनों में भय का माहोल बनेगा. 
- सभी पुराने नोटों को बंद कर के नये नोट जारी करने में अच्छा-खासा खर्चा  लगेगा. कैशलेस लेनदेन के बडावे को देखते है नोटों के पेपर-क्वालिटी में अंतर देखा जा सकता है.
- भारत की जनता और आधारभूत ढांचा अभी पूर्णरूप से कैशलेस लेनदेन के लिए तैयार नहीं है. अपूर्ण बैंक पेठ, इन्टरनेट सेवाओ का मुद्दा, मोद्रिक ज्ञान की कमी, तकनीक की जानकारी की कमी इत्यादि अनेक कारण है.
- अन्य रूप में जमा कालेधन पे यह योजना कारगर नहीं होगी जैसे किसी ने सोने खरीद रखा है या किसी ने विदेश में विदेशी मुद्रा के रूप में कालाधन जमा करा रखा है इत्यादि.
-विपक्ष का राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह करना- बिना किसी पूर्व सुचना के नोट बंद कर देने से जनता को कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है उसका विपक्षी पार्टिया लाभ लेने से पीछे नहीं रहेगी.

विशेष बाते-
- आप अपने पुराने नोट 30 दिसम्बर तक जमा करवा सकते है.
- पुराने 500, 1,000 के नोट 24 नवम्बर तक पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल्स व् अन्य उपयोगी सेवाओ के लिए काम में लिए जा सकते है.
- 18 नवम्बर की मध्यरात्रि तक सभी टोल नाके फ्री.

सारांश - पहले भारत सरकार से यह पूछा जाता था कि आप काले धन पे कुछ क्यों नहीं कर रहे? अब जब सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला ले लिया तो शुरुवाती कठिनाइयों को नज़रंदाज़ करते हुए हमे सरकार के इस फैसले का साथ देना चाहिए.

मै आने वाले सुनहेरे कल के लिए कुछ  दिनों का कष्ट सहने को तैयार हु और आप?

डॉ. देवराज राव






Sunday, 13 November 2016

भामाशाह- एक सकारात्मक पहल

वह धन्य देश की माटी,
जिसमे भामा सा लाल पला |
उस दानवीर की गाथा को,
मेट सका क्या काल भला ||

महान दानवीर व् त्यागी भामाशाह की याद में लिखी यह पंक्तिया आज भी उतनी ही सार्थक है जितनी पहले थी. जिस प्रकार मात्रभूमि की रक्षा के लिए लड़ रहे महाराणा प्रताप का सर्वस्य होम हो जाने के बाद भी, भामाशाह ने उनके लक्ष्य को सर्वोपरी मानते हुऐ अपनी सम्पूर्ण धन-सम्पदा महाराणा को अर्पित कर दी थी. उसी प्रकार अपनी मात्रभूमि के प्रति अगाध प्रेम व् दानवीरता का परिचय देते हुऐ भामाशाह खटोड परिवार आलनियावास, हाल मुकाम- इचलकरंजी, महारास्ट्र ने राजकीय चिकित्सालय आलनियावास से सटी पुस्तेनी जमीन में प्रसूति कक्ष मय बरामदा, स्टोर रूम, ड्यूटी रूम का निर्माण कर के जनसेवाओ के लिए चिकित्सा विभाग को समर्पित किया, उसके लिए विभाग व् लाभार्थी जनता आपकी हमेशा आभारी रहेगी.
                                                                                                         
                                         भामाशाह श्रीमती राज देवी, श्री रामरतन जी, श्री शिवरतन जी खटोड परिवार आलनियावास द्वारा निर्मित प्रसूता कक्ष का लोकार्पण दिनांक 12/11/2016 को सुबह 11.21 को श्री अजय सिंह जी किलक, सहकारिता मंत्री राजस्थान सरकार के कर कमलो द्वारा किया गया. समारोह में पधारे सभी स्थानीय-बाहर गाँव से पधारे मेहमानों का हार्दिक आभार. आभार सभी मित्रों का जिनके सहयोग से सफल आयोजन संभव हुआ. धन्यवाद् श्री अजयपाल जी जांगिड का जिनके सहयोग भवन की नीव से अंत तक रहा. 
                                      भामाशाहो की जरूरत समाज को हमेशा रही है, आशा है और भामाशाह आगे आयेंगे और इस पहल को आगे लेके जायेंगे.